Surah Ikhlas in Hindi with Meaning | सुरह इखलास हिंदी में- Surah Al Ikhlas
आज हम जानेंगे सुरह इखलास हिंदी में (Surah Ikhlas in Hindi with Meaning). आशा करते हैं, और साथ ही सुरह इखलास का अर्थ और सूरह इखलास पढ़ने के फायदे। तब चलिए पढ़ते हैं Surah Ikhlas Hindi.
Table of Contents
Surah Ikhlas in Hindi
- बिस्मिल्लाह हिरह्मा निरहिम
- कुल हुवल लाहू अहद
- अल्लाहुस समद
- लम यलिद वलम यूलद
- वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
सुरह इखलास हिंदी में –
- हम शुरुवात करते हैं, खुदा के नाम से जो बहुत ही महरबान और बहुत ही रहम बरसाने वाला है।
- आप यह कह दो, की खुदा एक ही है।
- आप कह दो की खुदा बेनियाज़ है। वह कभी किसी से कुछ लेता नहीं है, बल्कि देता है।
- यह कह दीजिए कि अल्लाह न तो किसी का बाप हो सकता है, और न ही किसी का बेटा।
- यह भी मान लीजिए कि पूरी कायनात में खुदा के बराबर कोई भी नहीं है।
यह भी पढ़ें- आयतुल कुर्सी
यह भी पढ़ें- दुआ ए कुनूत
सूरह इखलास कब और कैसे बनी-
जब कुछ लोगों ने रसूल साहब से कहा, की आप अपने खुदा के बारे में हमे कुछ बताइये, तब उन्होंने अपने खुदा के बारे में बताते हुए ये सूरह फ़रमाई। सूरह इखलास (Surah Ikhlas Hindi) माना जाता है कि मक्का मदीना में नाज़िल हुई है। ऐसा कई लोग मानते भी हैं और कई किताबों में भी लिखा है।
सूरह इखलास की फजीलत-
नबी ए करीम (स. अ. व.) सूरह इखलास को बहुत अहमियत देते थे। वह सभी से सूरह इखलास पढ़ने के लिए कहते थे। जब भी समय मिलता, वे लोगों को सूरह इखलास की अहमियत बताते, और उनसे सूरह इखलास को मन से पढ़ने के लिए कहते।
इस्लाम मे एक किताब है, जिसका नाम तौहीद है, सूरह इखलास (Surah Ikhlas in Hindi) ही एक ऐसी सूरह है, जो तौहीद किताब को केवल चार कलमों में बयान कर देती है। जिससे यह लोगों को बहुत जल्दी याद हो जाती है। और लोगों को पूरी किताब याद नहीं करनी पड़ती।
नबी ए करीम (स. अ. व.) ने एक बार कई लोगों से पूछा था, की क्या तुम एक तिहाई कुरान केवल एक रात में ही याद या पढ़ सकते हो।
जाहिर सी बात है, कोई एक तिहाई क़ुरान को एक रात में पढ़ या याद नहीं कर सकता। इसी पर लोगों में नबी ए करीम (स. अ. व.) से कहा, यह तो मुमकिन ही नहीं है। तब नबी ए करीम (स. अ. व.) ने लोगों से कहा,
अगर आप लोग सूरह इखलास (Surah Ikhlas in Hindi) के केवल चार कलमों को भी पढ़ लेंगे, तो यह एक तिहाई क़ुरान के जितना होगा, अर्थात तुम्हे एक तिहाई क़ुरान के जितनी सवाब मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा, जो कोई भी सूरह इखलास को 10 बार पड़ता है, उसके दुख दूर होने लग जाते है, और वह खुदा के बहुत करीब चला जाता है।
सूरह इखलास पढ़ने के फायदे (Surah Ikhlas ke Fayde)-
जब नबी ए करीम (स. अ. व.) से उनके खुदा के बारे में बताने के लिए कहा गया, तब उन्होंने अपने खुदा के बारे में सुनते हुए यह सूरह बयान की। सूरह इखलास पढ़ने के वैसे तो बहुत सारे फायदे हैं, पर कुछ मुख्य फायदे यह हैं-
1. सूरह इखलास एक ही ऐसी सूरह है, जिसे एक तिहाई क़ुरान के बराबर माना गया है। नबी ए करीम (स. अ. व.) ने खुद लोगों से कहा था, की सूरह इखलास को पढ़ना एक तिहाई क़ुरान पढ़ने के बराबर है। और जो भी इसे ध्यान से पढ़ेगा। वह खुदा का सबसे करीबी माना जाएगा। इसलिए सूरह इखलास पढ़ना बहुत ही जरूरी है। और सूरह इखलास पढ़नी चाहिए।
2. भाइयों माना जाता है, की सूरह इखलास जो कोई भी मन लगाकर पड़ता है, उसे खुदा जन्नत में भेजता है। सूरह इखलास पढ़ने का यह भी एक बहुत बड़ा फायदा है। इसलिए सूरह इखलास पढा करें।
3. सूरह इखलास (Surah Ikhlas in Hindi) के पढ़ने से बुरी चीजें और बुरे लोगों को खुदा हमसे दूर रखते हैं। यह भी औरह इखपास पढ़ने का एक बहुत बड़ा फायदा है।
4. कई लोगों का मानना है, और बहुत जगह लिखा भी है कि सूरह इखलास रोजाना 10 बार पढ़ने से दुख और बीमारियां दूर होने लग जाती है। और बरक्कत होने लगती है। चाहे वह काम मे हो या पढ़ाई में। सूरह इखलास पढ़ने का यह भी एक बहुत फायदा है। इसलिए सूरह इखलास पढ़ा करें।
सूरह इखलास (Surah al Ikhlas) के वैसे तो और भी बहुत सारे फायदे हैं, परन्तु सूरह इखलास को पढ़ने से होने वाले महत्वपूर्ण फायदे यही हैं, इसलिए आप भी अगर सूरह इखलास कभी कभी या नहीं पढ़ते हैं, तो रोजाना पढ़ना शुरू कीजिए और अपने जीवन मे होने वाले बदलावों को देखिए।
यह भी पढ़ें- फातिहा का तरिका
यह भी पढ़ें- सूरह फातिहा
सूरह इखलास का तजुर्मा हिंदी में (Surah Ikhlas Meaning in Hindi)-
बहूत से ऐसे लोग है, जो सूरह इखलास का अर्थ नहीं जानते, जिससे वे सूरह इखलास क्या है, यह समझ नही पाते। इसलिए हमने सूरह इखलास का हिंदी में विस्तृत अर्थ दिया है, जिसे पढ़कर आपको सूरह इखलास का अर्थ समझ मे आ जाएगा।
शुरुवात करते हैं, खुदा के नाम से जो बहुत ही रहमत वाला है, और जो सभी पर अपनी दया दिखता है।
सूरह इखलास का पहला कलमा-
सूरह इखलास (Surah Ikhlas Hindi) के पहले कलमे का मतलब है, कि आप यह कह दीजिए कि खुदा (अल्लाह) केवल एक ही है। अर्थात बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अलग अलग खुदा को मानते हैं, परन्तु ऐसा बिल्कुल नहीं है। जिसने इस पूरी कायनात को बनाया है, वह केवल एक ही है।
उसी ने इस पूरी दुनिया को बनाया, हमे बनाया, पशु पक्षियों को बनाया, किट पतंगों को बनाया, पेड़ो को बनाया, पानी बनाया, दूसरी चीजों को बनाया। इसलिए चाहें कोई कितना भी खुदा को माने , पर खुदा एक ही है।
सूरह इखलास का दूसरा कलमा-
सूरह इखलास (Surah al Ikhlas in hindi) के दूसरे कलमे में अल्लाह के बेनियाज़ होने के बारे में बताया गया है, अर्थात खुदा तठस्थ है, वह किसी से कुछ नहीं लेता। वह किसी भी चीज की परवाह नहीं करता। वह केवल देता है। लेता नहीं है।
खुदा ही ब्रह्मण्ड का निर्माणकर्ता है। उसी ने पूरे ब्रह्मण्ड को बनाया है, हमारा कोई सामर्थ्य नहीं है, जो हम खुदा को कुछ दें। हम खुदा को कुछ दे ही नहीं सकते। और खुदा को किसी से भी कुछ भी नहीं चाहिए। उस के पास सब कुछ है। खुदा तठस्थ है।
सूरह इखलास का तीसरा कलमा-
सूरह इखलास के तीसरे कलमे में खुदा के रिश्ते के बारे में बताया गया है, और लिखा है खुदा न तो किसी का बाप है और न ही किसी का बेटा। वह तो अनन्त है। हम सब खुदा की सन्तानें हैं। खुदा ही हमारी किसी मुश्किल में पड़ जाने पर मदद के लिए हाथ बढ़ाता है। वह न तो किसी का बाप हो सकता है, और न ही किसी का बेटा हो सकता है। सब कुछ उसी का है। कायनात की हर चीज उसी ने बनाई है।
सूरह इखलास का चौथा कलमा-
सूरह इखलास (Surah Ikhlas Meaning in Hindi) के चौथे और आखिरी कलमे में खुदा के विशाल होने के बारे में बताया गया है, और लिखा है कि खुदा के जितना विशाल और ताकतवर कोई नहीं हो सकता। उसके बराबर कोई नहीं हो सकता। खुदा विशालता में भी सबसे बड़ा है, और दिल से भी सबसे बड़ा है, वह कभी किसी को परेशान नहीं देख सकता।
वह हर किसी की केवल मदद ही चाहता है। वह चाहता है कि सभी खुश रहें और तरक्की करते रहें। इस बात से खुदा की हृदय की विशालता का पता चलता है। इसलिए इस कलमे में लिखा गया है कि खुदा के बराबर कोई भी नहीं हो सकता। चाहे वह विशालता में हो, या चाहे वह हृदय की बात हो।
सूरह इखलास का महत्व (Importance of Surah al Ikhlas in Hindi)-
सूरह इखलास एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अच्छी सूरह है, जिसे लोगों द्वारा नबी ए करीम (स. अ. व.) से उनके खुदा कोन हैं, पूछने पर नबी ए करीम (स. अ. व.) द्वारा लोगों को अपने खुदा के परिचय स्वरूप बताई।
सूरह इखलास एक बहुत पुरानी सूरह है। माना जाता है यह सूरह इखलास 1300-1350 के बीच मे आयी है।
सूरह इखलास को एक तिहाई क़ुरान के रूप में भी जाना जाता है, स. अ. व. ने खुद सूरह इखलास (Surah al Ikhlas) को एक तिहाई क़ुरान बताया है। और कहा जाता है, सूरह इखलास पढ़ना यानी कि एक तिहाई क़ुरान पढ़ने के बराबर है।
सूरह इखलास पढ़ने से कई प्रकार के फायदे भी बताए गए हैं, और इसे पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस सूरह को पढ़ने से पढ़ने वाला खुदा के बहुत करीब रहता है। यही कारण है, सूरह इख़लास के महत्वपूर्ण होने का।
यह भी माना जाता है, की जो भी लोग इस सूरह को रोजाना 10 बार पढ़ते हैं, खुदा उन्हें हर तकलीफ और परेशानी से दूर रखता है। और उनके जीवन मे अपार खुशियां आती हैं। तो अगर आप सूरह इखलास को नहीं पढ़ते थे, तो आज ही से इसे पढ़ना शुरू कर दीजिए, और आप देखेंगे कि आपके जीवन से एक एक कर सारी परेशानियां दूर होने लग जाएगी, और खुशियां आने लगेगी।
Conclusion | Surah Ikhlas Hindi
आज आपने पढ़ी Surah Ikhlas in Hindi. साथ ही आपने जाना सूरह इखलास का अर्थ (Surah Ikhlas Meaning in Hindi) , सूरह इखलास की फजीलत, और साथ ही सूरह इखलास पढ़ने से होने वाले फायदे (Benifits).
आशा करते हैं कि आपको आज की हमारी यह Surah Ikhlas Hindi पोस्ट पसन्द आयी होगी। सुरह इखलास हिंदी में ऐसी ही अन्य रोचक और ज्ञान से भरी पोस्ट्स पढ़ने के लिए बने रहें हमारे साथ, और विजिट करते रहें aayatsays.com पर।